Wednesday, October 16, 2024

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अविज्ञाय नरो धर्मं दुःखमायाति याति च । मनुष्य जन्म साफल्यं केवलं धर्मसाधनम्     ॥     अविज्ञाय नरो धर्मं दुःखमायाति याति च । मनुष्य जन्म साफल्यं केवलं धर्मसाधनम्     ॥     अविज्ञाय नरो धर्मं दुःखमायाति याति च । मनुष्य जन्म साफल्यं केवलं धर्मसाधनम् ॥

किसी भी समाज की धूरी होती हैं वहॉं की महिलायें। यदि कोई पुरूष शिक्षित होता है तो वह केवल स्वयं का ही उद्वार कर सकता है किन्तु यदि एक महिला शिक्षित होती है तो वह पूरे परिवार को शिक्षित कर देती है। परन्तु आज के समय में स्त्रियां पुरूषों की बराबरी करने के चक्कर में स्वयं का दैवत्व खो रही हैं और दिन प्रतिदिन उर्ध्व पतन का शिकार हो रही हैं जिसमें मात्र यह मिथ्या आभास होता है कि हम विकास पथ पर हैं लेकिन मानसिक चेतना के स्तर पर खोखली  होती  जा रही हैं। इस जद्दोजहद् में भावी पीढ़ी को संस्कार देने के साथ साथ उनके अन्दर आध्यात्मिक चेतना जागृत करने की नैतिक जिम्मेदारी में स्त्रियां नाकाम हो रही हैं। इस समस्या को देखते हुए बजरंग सेवा दल की संस्कार वाहिनी समिति महिलाओं की त्रयीशक्ति को जगाने हेतु गठित की गयी है जिसके निम्नलिखित तीन आयाम हैं:-

ऊर्जा : मॉ लक्ष्मी की भॉति इस दल की महिलायें आर्थिक स्वावलंबन को अपनाते हुए आत्मनिर्भर  हो रही हैं साथ ही  देश को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सुदृढ़ और सशक्त कर रही हैं। 

शक्ति : मॉं काली  को ईष्ट मानते हुए इस दल की महिलायें सनातन संस्कृति को अच्छुण रखने हेतु भावी युवा पीढ़ी और आधुनिक युवाओं को शारीरिक रूप से सश्क्त कर रही हैं जिसके अन्तर्गत योगा, ताइक्वांडो, जूडो एवं मार्शल आर्ट आदि का भी प्रशिक्षिण दिया जा रहा है। 

तेजस्विनी : मॉं सरस्वती को ज्ञान की प्रतिष्ठाता मानते हुए इस दल की महिलायें हमारे धर्म ग्रंथों, वेदों, महाकाव्यों, पुराणों आदि में संदर्भित ज्ञान तत्व से आम जनमानस को परिचित कराते हुए उनको अपने धर्म के प्रति आस्थावान और निष्ठावान बनाने के लिये अथक प्रयास कर रही हैं।

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